Matlabi Shayari – रिश्तों में छिपे स्वार्थ को उजागर करती भावनात्मक शायरी


Meaning of Matlabi Shayari – मतलबी शायरी का अर्थ

Matlabi Shayari का तात्पर्य उन शायरियों से है जो रिश्तों, दोस्ती, मोहब्बत या समाज में व्याप्त स्वार्थ और दोहरेपन को उजागर करती हैं। इन शायरियों में भावनाओं की गहराई, धोखे का दर्द, और रिश्तों की असलियत साफ तौर पर दिखती है। यह शायरी उस कड़वे अनुभव का रूप है, जिसमें किसी ने मतलब के लिए दिल से खेला हो। ऐसे में इंसान अपने जज़्बातों को शब्दों के रूप में निकालता है, और यही शब्द बनते हैं शायरी का भावनात्मक आधार


“मतलब की दुनिया में हर कोई बेगाना है,
दिल से निभाओ तो भी तन्हा ही जाना है।”

जैसी पंक्तियां हमें ये एहसास दिलाती हैं कि शायरी सिर्फ अल्फाज़ नहीं, जज़्बातों की पुकार होती है

Matlabi Dosti Shayari – मतलबी दोस्ती पर शायरी

आजकल की दोस्ती जब तक स्वार्थ से जुड़ी होती है, तब तक निभती है। सच्चे दोस्त मिलना मुश्किल हो गया है। इसलिए जब कोई धोखा देता है, तो मन कह उठता है –

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Matlabi Shayari

“दोस्ती की मिसाल देने वाले, खुद मतलब के मोहरे निकले,
हमने अपना समझा जिन्हें, वो तो गैरों से भी बदतर निकले।”

“जिसे अपना समझकर हर राज़ बाँट दिया,
उसी ने मतलब निकलते ही सारा शहर हँसा दिया।”

“हमने तो दोस्ती को पूजा की तरह निभाया,
पर उन्होंने हर बार मतलब से तोल कर निभाया।”

“साथ तब तक जब तक ज़रूरत रही,
मतलब खत्म तो पहचान भी अधूरी रही।”

Matlabi Mohabbat Shayari – झूठी मोहब्बत पर शायरी

जब मोहब्बत भी अब दिल से नहीं, मतलब से की जाने लगे, तो वहाँ सिर्फ धोखा ही मिलेगा। यही सच्चाई शायरी में कुछ यूँ सामने आती है –

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Matlabi Shayari - रिश्तों में छिपे स्वार्थ को उजागर करती भावनात्मक शायरी 5


“जिसे चाहा दिल से, उसने मतलब से निभाई,
मोहब्बत की नहीं, खुदगर्जी की कहानी लिखवाई।”

झूठी मोहब्बत का अंजाम कुछ ऐसा रहा,
दिल भी टूटा और यक़ीन भी चला गया।

जिसे चाहा था जान से भी ज्यादा,
वो निकली मोहब्बत की सबसे बड़ी सज़ा।

तेरे झूठे प्यार ने ऐसा असर किया,
अब खुद से भी इश्क़ करने से डर लगता है।

कसमों के नाम पर उसने खेला दिल से,
और हम समझ बैठे थे मोहब्बत खुदा से।

वो कहते थे बस तुम ही हो मेरी जान,
फिर क्यों आज किसी और के साथ हैं वो मेहरबान?

Matlabi Rishtedar Shayari – मतलबी रिश्तेदारों पर शायरी

“दोस्ती की आड़ में चलती रही चालें,
मतलब निकला तो छोड़ गए सवालें।

“रिश्तों में प्यार नहीं अब सौदे होते हैं,
मतलब निकले तो अपने भी पराए होते हैं।”

रिश्तों की शक्ल में बैठे हैं सौदागर,
हर कोई मतलब से करता है प्यार इधर।

रिश्तेदारी का चोला पहने हुए हैं कई,
पर दिल में सिर्फ मतलब की परछाई है भाई।

वो रिश्तेदार ही क्या जो साथ तब आए,
जब जेब भरी हो और दिखावा दिखाए।

मतलबी रिश्तेदारों से अब दिल नहीं लगता,
जो दर्द दे जाए, वो अपना कैसे लगता?


Final Thought – अंतिम विचार

Matlabi Shayari केवल एक साहित्यिक शैली नहीं बल्कि एक भावनात्मक क्रांति है, जो झूठी उम्मीदों, बनावटी रिश्तों और दोहरे स्वभाव के खिलाफ आवाज़ उठाती है। यह शायरी हमें सच्चाई से परिचित कराती है और जीवन को समझने की नई दृष्टि देती है। इस मतलबी दुनिया में जब शब्द हमारी ढाल बनते हैं, तब शायरी ही हमारा हथियार होती है। अगर किसी ने आपके साथ स्वार्थवश रिश्ता निभाया है, तो उसके जवाब में चुप न रहें – शब्दों के ज़रिए अपनी बात दुनिया के सामने रखें, क्योंकि कभी-कभी सबसे गहरी चोटें सबसे सच्ची शायरी बन जाती हैं


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