Jindgi Se Pareshan Shayari – जब दिल में दर्द और मन में बोझ हो…
हर इंसान की जिंदगी में एक ऐसा वक्त ज़रूर आता है जब वह थक जाता है, टूट जाता है, और खुद से सवाल करता है – “क्या वाकई ज़िंदगी इतनी कठिन होनी चाहिए?” ऐसे समय में दिल की बात कहने के लिए शब्द नहीं मिलते, लेकिन शायरी एक ऐसा माध्यम है जो हमारे भीतर की पीड़ा को सुंदरता के साथ व्यक्त करती है।
Jindgi Se Pareshan Shayari सिर्फ शेर-ओ-शायरी नहीं है, बल्कि यह उन भावनाओं की गहराई है जिसे इंसान अपने भीतर छुपाए फिरता है। यह लेख उन सभी दिलों के लिए है जो मुस्कराते हैं लेकिन अंदर से टूटे हुए होते हैं।
Jindgi Se Pareshan Shayari:जिंदगी से थके हुए लोगों के लिए शायरी

थक गया हूँ मैं ज़िंदगी की जंग लड़ते-लड़ते,
अब कोई हार भी जाए तो क्या फर्क पड़ता है।
कभी-कभी दिल करता है सब छोड़ दूँ,
पर फिर वही ‘क्या होगा आगे’ सवाल रोक देता है।
ना जाने कितने दर्द छुपाए हैं सीने में,
लोग कहते हैं – तू तो हँसता बहुत है।
सपने देखे थे कुछ और, हकीकत मिली कुछ और,
ज़िंदगी से ये कैसी साजिश हो गई यारों।
इतनी ठोकरें खाईं हैं इस राह में,
अब तो मंज़िल भी डरा देती है।
थक गया हूँ मैं मुस्कराने की कोशिश करते-करते,
अब तो चेहरा भी कहने लगा है – बस कर यार।
हर रोज़ एक नया दर्द देती है ये ज़िंदगी,
और हम भी हर रोज़ जीने की कोशिश करते हैं।
कुछ इस तरह थक चुका हूँ ज़िंदगी से,
कि अब किसी बात पर रोना भी नहीं आता।
ना कोई अपना रहा, ना कोई पराया बना,
ज़िंदगी ने हर रिश्ता तोड़ दिया थकाते-थकाते।
कभी सोचा था ज़िंदगी आसान होगी,
अब हर सांस भारी लगती है।
दिल बोझिल है, आँखें नम हैं,
थक चुका हूँ अब ये जताते-जताते कि मैं ठीक हूँ।
ज़िंदगी की भागदौड़ में कहीं खो गया हूँ,
अब खुद को ढूँढने की हिम्मत भी नहीं बची।
कई बार लगता है सब कुछ छोड़ दूँ,
पर फिर वो ‘ज़िम्मेदारियाँ’ आँखों के सामने आ जाती हैं।
थक कर बैठ गया हूँ अब अपनी ही छांव में,
कभी खुद से ही लड़ना भी भारी हो जाता है।
अब तो नींद भी रूठ गई है मुझसे,
कहती है – जब दिल ही परेशान है, तो आराम कैसा
🥀 अकेलेपन और तन्हाई पर शायरी

जो मुस्कराहट सबको दिखती है,
वो मेरे आँसुओं की तजुर्मा नहीं करती।
सब कुछ है पास मेरे फिर भी अधूरा सा हूँ,
शायद तन्हाई ने मुझसे कुछ छीन लिया है।
इस दिल का हाल कोई क्या समझेगा,
जो हर वक्त भीड़ में भी अकेला रहता है।
कभी मुस्कुराकर देखो उस शख्स को,
जो हर वक्त उदासी ओढ़े फिरता है।
कुछ इस तरह से टूट चुका हूँ तन्हाई में,
कि अब भीड़ में रहना भी डराने लगा है।
भीड़ में खड़े होकर भी खुद को तन्हा पाया,
कभी खुद से मुलाक़ात की तो खुद को बेगाना पाया।
हर किसी से बातें करके भी दिल नहीं भरता,
क्योंकि तन्हाई में एक ख़ामोशी सी रहती है।
कभी किसी की भीड़ में गुम हो जाया करता था,
अब तन्हाई मेरी अपनी पहचान बन चुकी है।
बहुत अकेले हो गए हैं हम इस सफर में,
जहाँ साथ चलने वाले अब परछाई भी नहीं रहे।
तन्हा रातें पूछती हैं हर रोज़ मुझसे,
क्या मिला तुम्हें अपनों से दूरी बनाकर?
अब आदत सी हो गई है अकेले रहने की,
ना कोई शिकायत, ना कोई उम्मीद बाकी रही।
कभी तन्हा होकर देखो, खामोशी कितना बोलती है,
और दुनिया कितनी बेगानी लगती है।
जिससे उम्मीद थी वो ही हमें तन्हा कर गया,
और अब तन्हाई ही हमारी हमदर्द बन गई।
ख़ामोशियों से अब रिश्ता बन गया है,
तन्हाई ही अब मेरा सबसे अच्छा दोस्त है।
😞 जब दुनिया समझ ना पाए – टूटे हुए मन की आवाज़

हर रोज़ खुद को समझाता हूँ,
लेकिन ये दिल है कि मानता ही नहीं।
ज़िंदगी एक सवाल बन गई है,
और मैं जवाब ढूँढते-ढूँढते थक चुका हूँ।
कभी लगता है सब छोड़ दूँ,
पर फिर सोचता हूँ – कोई अपना तो पूछेगा नहीं।
हर उम्मीद पर पानी फिरा है,
अब तो दुआ मांगने का भी मन नहीं करता।
हर कोई मुस्कुराने की वजह पूछता है,
कोई ये क्यों नहीं पूछता कि दिल रो क्यों रहा है?
दुनिया समझती है कि हम खुश हैं,
पर हमारे आँसू सिर्फ तकिये जानते हैं।
चेहरे पर मुस्कान ओढ़े फिरते हैं,
वरना अंदर से तो हर रोज़ मरते हैं।
कभी खुद को समझाने बैठो,
तब समझ आता है, कितना टूटा हुआ है ये मन।
लोग कहते हैं – समय सब ठीक कर देता है,
पर कोई नहीं बताता तब तक कैसे जिया जाए।
दुनिया ने जो देखा वो मुस्कान थी,
जो नहीं देखा वो टूटी हुई जान थी।
हमने भी सीखा है चुप रहना,
जब दुनिया ने हमारी खामोशी को भी नज़रअंदाज़ किया।
कभी-कभी लगता है ज़िंदा रहना ही सज़ा है,
और मुस्कराना एक मजबूरी।
बातें कम हो गई हैं अब,
क्योंकि कोई समझने वाला नहीं रहा।
दुनिया सिर्फ हँसी देखती है,
उसे क्या पता दिल कितनी बार टूटा है।
जिंदगी से जूझते युवाओं के लिए एक संदेश
अगर आप भी ऐसे दौर से गुज़र रहे हैं जहाँ सब कुछ बोझ सा लगता है, तो याद रखें – आप अकेले नहीं हैं। शायरी आपकी भावनाओं की पहचान है, लेकिन इसे ज़िंदगी की आख़िरी लकीर न बनने दें।
कभी-कभी किसी से बात करना, लिखना, रो लेना या खुद को समय देना – यही राहत देता है।
और हाँ, ये भी सच है:
“सब्र करो, वक्त बदलता है।”
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निष्कर्ष (Conclusion)
“Jindgi Se Pareshan Shayari” केवल कुछ पंक्तियाँ नहीं हैं, बल्कि वे उन जज़्बातों की आवाज़ हैं जो इंसान अकेले में जीता है। लेकिन याद रखिए – हर अंधेरी रात के बाद एक नई सुबह ज़रूर आती है। यह शायरी आपको उस तकलीफ को समझने में मदद कर सकती है, लेकिन समाधान आपके ही भीतर है।
अगर ये शायरी आपके दिल को छू गई हो तो इसे अपने दोस्तों से साझा कीजिए। क्या पता कोई और भी इसी दर्द से गुज़र रहा हो और उसे इन शब्दों में थोड़ी राहत मिल जाए।
💬 “जिंदगी से परेशान हो, तो शायरी लिखो या पढ़ो – मन हल्का हो जाएगा!”