Gulzar Shayari in Hindi गुलज़ार, जिनका असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है, हिंदी साहित्य और फिल्म जगत का एक अमूल्य रत्न हैं। उनकी शायरी, नज़्में और गीत लोगों के दिलों को छू जाते हैं। उनकी कलम से निकले अल्फ़ाज़ दिल की गहराइयों में उतर
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गुलज़ार की प्रसिद्ध शायरी
गुलज़ार की शायरी कई रंगों में रंगी होती है – कभी प्रेम से सराबोर, तो कभी विरह की पीड़ा से भरी। नीचे उनकी कुछ चर्चित और भावनात्मक शायरियाँ दी गई हैं:
1. प्यार और मोहब्बत पर गुलज़ार की शायरी

“तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं,
तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन ज़िंदगी नहीं…”
“एक उम्र कट गई है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है, कल की तरह…”
“तुझसे बिछड़ के ज़िंदा हैं मगर,
ये ज़िंदगी अब ज़िंदगी नहीं लगती…”
“हमने उनसे मोहब्बत की थी,
वो किसी और की बात करते थे…”
“इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश गुलज़ार,
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने…”
“सिलसिले तोड़ गया वो सभी जाते-जाते,
वरना इतने तो हम भी बद्तमीज़ न थे…”
“मोहब्बत भी शराब की तरह होती है,
हर किसी को नहीं चढ़ती…”
“तुम आए तो जैसे बहार आ गई,
तुम आए तो जैसे ज़िंदगी आ गई…”
“कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ,
किसी की आँख में हमको भी इंतज़ार दिखे…”
“छूकर मुझे ऐसे गुजर जाया करो,
मैं ख़ुशबू हूँ, महक जाऊंगा…”
“तेरा नाम लूँ ज़ुबां से,
ये मज़ा अलग ही होता है,
जैसे कोई दरिया धीरे से
रेत को चूमता हो…”
“कुछ अलग ही करना है तो इश्क़ करो,
जो हर किसी से न हो पाए…”
इन पंक्तियों में गुलज़ार ने प्रेम के वियोग और तड़प को बेहद खूबसूरती से बयां किया है।
2. तन्हाई और दर्द पर गुलज़ार की शायरी

“दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई…”
“ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
काफ़िला साथ और सफ़र तन्हा…”
“तन्हाई में जो लुत्फ़ है वो महफ़िल में कहाँ,
ये बात तो उन लोगों को पता है जो टूट चुके हैं…”
“कुछ इस तरह खो गया हूँ तेरे ख्यालों में,
जैसे सुबह खो जाती है धुंधलके में…”
“अब तो आदत सी हो गई है मुझे तुझसे बिछड़ने की,
ना शिकवा रहा, ना गिला रहा, बस ख़ामोशी रह गई…”
“ख़ामोशियाँ ही बेहतर हैं,
लफ़्ज़ों से लोग रूठ जाते हैं…”
“तेरा नाम भी अब किसी दर्द सा लगता है,
लिखूं भी तो दिल कांपता है…”
“ग़म का तो पता नहीं,
पर तन्हाई बहुत रोई कल रात…”
“जब कोई बात नहीं होती,
तब भी बहुत कुछ कह जाता है दिल…”
“अजीब सी तन्हाई है इस शहर में,
लोग मिलते बहुत हैं मगर दिल नहीं…”
“हम वहाँ हैं जहाँ से लौट कर कोई नहीं आता,
तन्हा हूँ मगर तन्हाई से डर नहीं लगता…”
“इतना टूटा हूँ अंदर से कि
अब आवाज़ भी नहीं आती खुद की…”
गुलज़ार की शायरी में अकेलेपन की गूंज होती है, जो पाठक को सोचने पर मजबूर कर देती है।
3. जीवन और समाज पर गुलज़ार की नज़्में

“ज़िंदगी क्या है जानने के लिए
ज़िंदा रहना बहुत ज़रूरी है…”
“एक सफ़्हा खुला है, ज़िंदगी का,
हर रोज़ एक नई कहानी लिखनी है…”
“सड़क किनारे खड़ा बचपन
भीख माँगता है,
और हम समाजवाद की बातें करते हैं…”
“ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में,
एक पुराना खत खोला अंजाने में…”
“कभी-कभी यूँ भी होता है,
आदमी मुस्कराता है और टूट जाता है…”
“धूप में निकलो, घटाओं में नहाकर देखो,
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटाकर देखो…”
“बच्चे काम पर जा रहे हैं
सुबह-सुबह,
खुदा, ये वक्त बचपन का है या मज़दूरी का?”
“नए कपड़े पहनकर
कोई गरीब बच्चा जब मुस्कुराता है,
लगता है जैसे खुदा भी गरीब हुआ है…”
“हमने आसमान को छूने की कोशिश की,
और ज़मीन की ज़रूरतें भूल गए…”
“तुम्हारा शहर हो या मेरा शहर,
बस धुआँ ही धुआँ है हर एक घर…”
उनकी नज़्मों में ज़िंदगी का कड़वा सच और समाज की झलक दिखती है।
गुलज़ार और फिल्मी गीतों की शायरी
गुलज़ार ने बॉलीवुड को कई अमर गीत दिए हैं, जिनमें शायरी का गहरा प्रभाव है।
कुछ यादगार फिल्मी गीत:
🕊️ 1. “तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं”

🎬 फिल्म: आंधी (1975)
🎵 गायक: किशोर कुमार, लता मंगेशकर
भावनाओं की गहराई और अधूरे प्यार की कसक, इस गीत को अमर बना देती है।
🌧️ 2. “मोरा गोरा अंग लइ ले”
🎬 फिल्म: बंदिनी (1963)
🎵 गायक: लता मंगेशकर
प्रेम और पवित्रता को बेहद सरल पर खूबसूरत अंदाज़ में बयां करता यह गीत गुलज़ार का डेब्यू था।
🌙 3. “हज़ार राहें मुड़ के देखीं”
🎬 फिल्म: थोड़ी सी बेवफाई (1980)
🎵 गायक: किशोर कुमार
जिंदगी के फ़ैसलों और रिश्तों के उलझाव को बख़ूबी दर्शाता है ये गीत।
🌆 4. “दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन”
🎬 फिल्म: मौसम (1975)
🎵 गायक: भूपिंदर सिंह, लता मंगेशकर
एक गहरी तन्हाई और पुरानी यादों की दस्तक इस गीत की जान है।
🌿 5. “छोटी सी बातों का रखते हैं हिसाब लोग”
🎬 फिल्म: आईना (1977)
🎵 गायक: मुकेश
यह गीत रिश्तों की नाज़ुकता और समाज की सोच पर सुंदर टिप्पणी है।
💔 6. “नाम गुम जाएगा”
🎬 फिल्म: किनारा (1977)
🎵 गायक: भूपिंदर सिंह, लता मंगेशकर
गुलज़ार का यह गीत अस्तित्व और स्मृति की सोच को छूता है — क्लासिक दर्शन।
🌄 7. “एक अकेला इस शहर में”
🎬 फिल्म: ग़मन (1978)
🎵 गायक: भूपिंदर सिंह
तन्हाई और महानगरीय जीवन की कड़वाहट, इस गीत में बख़ूबी पिरोई गई है।
✨ 8. “सिलसिला ये चाहत का”
🎬 फिल्म: देवदास (2002)
🎵 गायक: श्रेया घोषाल
चाहत की आग और जुनून, गुलज़ार के शब्दों में महकते हैं।
🌌 9. “साथिया… ये तूने क्या किया”
🎬 फिल्म: साथिया (2002)
🎵 गायक: सोनू निगम
इस गीत में गुलज़ार की आधुनिक प्रेम भाषा एक नई पीढ़ी को छूती है।
💞 10. “तेरा नाम लिया, तुझको याद किया”
🎬 फिल्म: राम लखन (1989)
🎵 गायक: अनुराधा पौडवाल, मनहर उधास
मासूमियत और समर्पण से भरा हुआ गीत, जो सीधे दिल में उतरता है।
🌺 11. “झील सी आंखों का”
🎬 फिल्म: सत्यम शिवम सुंदरम (1978)
🎵 गायक: लता मंगेशकर
सौंदर्य की कल्पना और मोहब्बत की प्रतीकात्मकता, इस गीत की विशेषता हैं।
निष्कर्ष
गुलज़ार शायरी सिर्फ़ शब्दों का खेल नहीं, बल्कि दिल की सच्चाई है। उनकी कलम ने जो जादू बिखेरा है, वो पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को प्रेरित करता रहेगा। उनकी शायरी में जो खामोशी बोलती है, वो शायद किसी और की कलम से मुमकिन नहीं।
यदि आप भी कभी तन्हा महसूस करें या प्रेम में डूबे हों, तो गुलज़ार की शायरी में दिल का सुकून ज़रूर पाएंगे।