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Hindi Diwas Par Kavita – हिंदी दिवस पर कविता
हिंदी भाषा हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता और आत्मा की प्रतीक है। भारत जैसे विविधता से भरे देश में, जहाँ अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं, वहाँ हिंदी वह सांस्कृतिक पुल है जो हमें एक सूत्र में बांधती है। हर वर्ष 14 सितंबर को भारत में हिंदी दिवस मनाया जाता है, जो हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपनी मातृभाषा के सम्मान और संरक्षण के लिए एकजुट होना चाहिए। इस दिन हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न आयोजन होते हैं, जिनमें सबसे लोकप्रिय गतिविधियों में से एक है –Hindi Diwas Par Kavita पाठ।
Hindi Diwas Par Kavita : कविता शीर्षक: हिंदी मेरी पहचान है

हिंदी मेरी पहचान है, संस्कारों की जान है,
जहाँ-जहाँ मैं जाऊं, मेरे संग ये वरदान है।
नदियों सी यह बहती जाए, मन के भावों को कहती जाए,
हिंदी के स्वर में माँ की ममता, हर दिल को यह सहलाए।कभी तिरंगे का रूप बने, कभी भारत की शान,
हिंदी में बसी है देश की आत्मा, यह है सबसे महान।
आओ मिलकर इसे अपनाएं, इसका मान बढ़ाएं,
हिंदी दिवस पर संकल्प लें, इसे विश्व तक पहुँचाएं।
Themes of Poems for Hindi Diwas – हिंदी दिवस की कविताओं के विषय
1. Glory of Hindi – हिंदी की महिमा

हिंदी है भारत की बोली, संस्कारों की मूरत है,
हर दिल में बसती ये भाषा, इसकी अपनी सूरत है।
धरती की कोमल मिट्टी जैसी, मन को सदा भाती है,
माँ की ममता जैसी लगती, हर बात समझाती है।संविधान ने जिसको माना, वो भाषा अभिमान बनी,
शब्दों में सजीव संस्कार, संस्कृति की जान बनी।
शब्द नहीं ये भावों का दीपक, प्रकाश जगाती है,
हिंदी केवल लिपि नहीं है, ये रग-रग में बस जाती है।गीतों की वो लयकारी है, कवियों की पहचान है,
कहानियों में ढले विचारों की, मधुरम सी जान है।
शब्दों से रिश्ते बुनती है, हिंदी की वो शक्ति है,
जिस भाषा में जनमन हँसते, वो सबसे बड़ी भक्ति है।आओ हिंदी का गुणगान करें, इसका मान बढ़ाएं हम,
हर मंच पर इसकी गूँज हो, ऐसा स्वाभिमान लाएं हम।
हिंदी से जुड़ा गर्व हमारा, इसका उजियारा फैलाएं,
विश्व पटल पर हिंदी भाषा का, जय घोष मिलकर गाएं।
Hindi Diwas Par Kavita :Patriotism – देशप्रेम

मातृभूमि की गोदी में जो, बोली सबसे प्यारी है,
उस हिंदी भाषा में रचती, देशभक्ति की वारी है।
शब्दों में लहराता तिरंगा, वाक्यों में बलिदान है,
हर अक्षर में वीर सपूतों का, लिखा हुआ सम्मान है।नज़्मों में वीरों का जज़्बा, छंदों में है शौर्य कथा,
हिंदी में रचा-पगा सा लगता, सारा भारत अपना सा।
जब सैनिक सीमा पर बोले, “माँ, लौटूंगा ज़रूर”,
तो उसकी वो “माँ” भी हिंदी, बन जाए उस दिन गुरूर।राष्ट्रधर्म की ज्योति जलाए, हिंदी ऐसी वाणी है,
एकता का मंत्र सुनाती, सबसे प्यारी रानी है।
भाषा नहीं बस शब्दों की, ये तो आत्मा की बात है,
इसमें बहती देशभक्ति की, निर्मल गंगा जैसी बात है।आओ सब मिल नारा दें अब – “हिंदी है अभिमान”,
राष्ट्रप्रेम की शक्ति इसमें, गूंजे हिंदुस्तान।
हिंदी में बोलो, हिंदी में सोचो, यही हमारी शान है,
हिंदी में ही बसता अपना, भारत महान महान है।
Hindi Diwas Par Kavita : Social Awareness – सामाजिक चेतना

कब तक यूँ सोए रहोगे, अन्यायों को सहते रहोगे?
अब तो आँखें खोलो सब, सच को पहचानो, आगे बढ़ो।
चुप्पी अब अपराध बनी है, आवाज़ उठाना धर्म है,
सच का साथ न छोड़ो साथी, यही तो मानव कर्म है।देखो बच्चे भूखे सोते, और कहीं थाली फेंकी जाती,
कहीं पर बेटी डरती है, कहीं बेवजह ही जलती छाती।
कभी धर्म के नाम पे झगड़े, कभी जाति की दीवारें,
इनसे ऊपर उठो ज़रा तुम, तोड़ो ये बेकार ताले।शिक्षा दो हर बालक को, नारी को उसका हक़ दो,
स्वच्छ बनाओ गलियाँ अपनी, पर्यावरण से प्रेम करो।
एकजुटता हो पहचान हमारी, सहयोग हो आधार,
सभी को मिले समान अवसर, यही हो देश का विचार।जागरूक बनो, जागरूक बनाओ, यही है सच्चा परिवर्तन,
हर दिल में हो न्याय की ज्योति, न हो किसी का शोषण।
हर हाथ बढ़े मदद को जब, तब होगा निर्माण नया,
सामाजिक चेतना का दीप जले, और चमके भारत का दिया।
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Conclusion – निष्कर्ष : Hindi Diwas Par Kavita
Hindi Diwas Par Kavita केवल एक प्रस्तुति नहीं होती, बल्कि यह भाषा के प्रति प्रेम का उत्सव होती है। यह हमें हमारी संस्कृति, पहचान और गौरव से जोड़ती है। जब कोई बालक मंच पर खड़ा होकर कहता है – “हिंदी मेरी माँ है”, तब हर श्रोता की आंखें नम हो जाती हैं और दिल गर्व से भर उठता है।